नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने पुलिस उपायुक्त (नई दिल्ली) प्रणव तायल को कथित तौर पर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने पर गिरफ्तारी करने में विफल रहने के लिए समन जारी किया है।
मंगलवार को जारी एक बयान में डीसीडब्ल्यू ने कहा कि उसे सिंह द्वारा महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न की शिकायत मिली है।
उन्होंने कहा- शिकायतकर्ता ने आयोग को सूचित किया है कि एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों ने आरोप लगाया है कि आरोपी व्यक्ति डब्ल्यूएफआई में कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के अपराध में शामिल रहा है।
आयोग को पता चला है कि इस मामले में आज तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। यह भी पता चला है कि प्राथमिकी दर्ज होने के 10 दिन बीत जाने के बावजूद, 164 सीआरपीसी के तहत नाबालिग लड़की सहित पीड़ितों के बयान आज तक दर्ज नहीं किए गए हैं।
पहले लंबे समय तक पुलिस ने #BrijBhushan पर FIR नहीं की। आंदोलन और कोर्ट के दबाव में मजबूरी में FIR दर्ज हुई तो अब 11 दिन बाद भी महिला #Wrestlers के 164 के बयान नहीं हुए। बृजभूषण को गिरफ़्तारी से बचाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। पुलिस को Summon जारी कर जवाब माँगा है। pic.twitter.com/lA4LB71nGB
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) May 9, 2023
डीसीडब्ल्यू चीफ स्वाति मालीवाल ने नई दिल्ली जिले के डीसीपी को समन जारी कर मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने कहा- आयोग ने मामले में की गई गिरफ्तारियों का विवरण मांगा है और आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी न होने के कारण पूछे हैं। इसके अलावा, आयोग ने 164 सीआरपीसी के तहत लोगों के बयान दर्ज करने में विफल रहने के कारणों के साथ-साथ बयान दर्ज करने में विफल रहने पर संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण भी मांगा है। आयोग ने डीसीपी को 12 मई को आयोग के समक्ष कार्रवाई रिपोर्ट के साथ पेश होने के लिए कहा है।
मालीवाल ने कहा- यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मामले में किसी भी आरोपी को आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। साथ ही, दिल्ली पुलिस प्राथमिकी दर्ज होने के 10 दिन बीत जाने के बाद भी पीड़ितों के बयान दर्ज करने में विफल रही है। यह बहुत गंभीर है। आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और पीड़ितों का बयान दर्ज किया जाना चाहिए। साथ ही 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज करने में विफल रहने वाले संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
—आईएएनएस