भारत का सार्वजनिक क्षेत्र, चुनिंदा उद्योगपतियों को अमीर बनाने का साधन बना: जयराम रमेश

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कर्नाटक में हमारी जीत और प्रधानमंत्री की हार हुई है: कांग्रेस
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नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र से सवाल किया है कि क्या भारत का सार्वजनिक क्षेत्र, जिसे पिछले 70 वर्षों में खड़ा किया गया था, कुछ कॉपोर्रेट मित्रों को और अमीर बनाने का साधन बनकर रह गया है।

जयराम ने गुरुवार को कहा कि ऐसा लगता है कि वर्ष 2020-21 के किसान आंदोलन के चलते केवल अस्थायी रूप से मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ा था।

उन्होंने कहा कि प्रकाशन अडानीवॉच में ये बताया गया था कि 13 अक्टूबर 2022 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय के 30 जून 2021 के फैसले को निरस्त कर दिया है, जिसमें सरकारी निगमित कंपनी सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) के बजाए अडानी पोर्ट्स और एसईजेड का पक्ष लिया गया था और इसमें कहा गया कि उच्च न्यायालय का निर्णय कानूनी रूप में मान्य नहीं है।

सीडब्ल्यूसी की स्थापना वर्ष 1957 में भारत की खाद्य भंडारण जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई थी और वर्ष 2021-22 में इसमें 55 लाख टन खाद्यान्न का भंडारण किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की कि उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सीडब्ल्यूसी के रुख का समर्थन किया था, जबकि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सीडब्ल्यूसी द्वारा अपने गोदामों को गैर अधिसूचित करने के निर्णय का समर्थन न करके, अडानी एसईजेड के रूप में मुंद्रा बंदरगाह के पास दो प्रमुख सीडब्ल्यूसी गोदामों पर नियंत्रण करने के लिए अडानी की बोली का समर्थन किया था।

इस फैसले में कहा गया था कि दो विरोधाभासी स्वरों में बोलना भारत संघ के लिए अच्छा नहीं है और भारत संघ के दो विभागों को बिल्कुल विपरीत स्टैंड लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

जयराम रमेश ने कहा कि इससे यह सवाल उठता है कि निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने रणनीतिक रूप से महत्?वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के निगम के विरुद्ध और केंद्र के पसंदीदा व्यापार समूह के पक्ष में कदम क्यों उठाया। क्या वह ऊपर से स्पष्ट निदेशरें के बिना ऐसा करने का साहस कर सकती है?

कांग्रेस नेता ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि पीयूष गोयल के वाणिज्य और उद्योग मंत्री (मई 2019 में) और साथ ही उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री (अक्टूबर 2020 में) बनने के बाद भी यह अडानी-प्रेरित अंतर-मंत्रालयी संघर्ष जारी रहा। क्या यह मान लेना तर्कसंगत नहीं है कि वह अडानी समूह के साथ एक मजबूत इलेक्टोरल बांड बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं?

जयराम रमेश ने कहा कि कृषि कानूनों के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक, अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स होता, जो भारतीय खाद्य निगम के साइलो अनुबंधों का प्रमुख लाभार्थी बन गया है, जिसे हाल ही में उत्तर प्रदेश और बिहार में 3.5 लाख मीट्रिक टन भंडारण स्थापित करने का अनुबंध मिला है।

इस बीच अदानी फार्म-पिक को हिमाचल प्रदेश में सेब की खरीद पर करीब-करीब एकाधिकार स्थापित करने की खुली छूट दे दी गई। क्या भारत का सार्वजनिक क्षेत्र, जिसे पिछले 70 वर्षों में खड़ा किया गया था, कुछ कॉर्पोरेट मित्रों को और अमीर बनाने का साधन बनकर रह गया है।

—आईएएनएस