नई दिल्ली: आईएएस अधिकरी शाह फैसल ने राष्ट्रीय जनता दल नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के विवादास्पद बयान और पड़ोसी देशों अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान में मची उत्थुल-पुथल के बीच एक बड़ा बयान दिया है.
उन्होंने बिना किसी का नाम लिए अप्रत्यक्ष रूप से उस ओर इशारा करते हुए कहा है, ‘हमारे पड़ोसियों को आश्चर्य हो सकता है, जहां संविधान गैर-मुस्लिमों को सरकार में शीर्ष पदों से रोकता है. मगर भारतीय लोकतंत्र ने कभी भी जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों और बाकी लोगों में भेदभाव नहीं किया.‘
गौरतलब है कि हाल में बिहार राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने एक कार्यक्रम के दौरान विवादास्पद बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका बेटा और बेटी विदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
उन्होंने अपनी दोनों संतानों को सलाह दी है कि भारत की स्थिति मुसलमानों के लिए ठीक नहीं, इसलिए वे पढ़ाई पूरी करने के बाद वहीं सेटेल हो जाएं. जबकि अफगानिस्तान में महिलाओं की उच्च शिक्षा पर तालिबान सरकार ने रोक लगा दी है.
It's possible only in India that a Muslim youngster from Kashmir can go on to top the Indian Civil Service exam, rise to top echelons of the government, then fall apart with the government and still be rescued and taken back by the same government. Rishi Saunak's appointment 1/4
— Shah Faesal (@shahfaesal) October 25, 2022
इसी तरह पड़ोसी पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों के लिए सफाईकर्मियों की नौकरी तो है, पर वे शीर्ष पदों पर सेवा नहीं दे सकते. अल्पसंख्यकों के प्रति निष्ठुर रवैये के चलते बार बार पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंच से खिचाई होती रही है.
इसी तरह महिला उच्च शिक्षा को लेकर तालिबान के फरमान और अब्दुल बारी सिद्दीकी के बयान को लेकर देश-दुनिया में अभी बवाल मचा हुआ है.ऐसे मौके पर आईएएस अधिकारी शाह फैसल का बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
उन्होंने एक के बाद एक चार ट्वीट कर कहा- ‘समान नागरिकों के रूप में, भारतीय मुसलमान स्वतंत्रता का आनंद उठा रहे हैं, जो अकल्पनीय हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा किसी अन्य तथाकथित इस्लामिक देश में संभव नहीं है.’
बता दें कि कश्मीर निवासी शाह फैसल 2009 के यूपीएससी टॉपर हैं. अभी संस्कृति मंत्रालय में उप सचिव के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने अपने एक अन्य ट्विट में कहा-मेरी अपनी जिंदगी की कहानी 1.3 बिलियन लोगों के इस देश के प्रत्येक साथी नागरिक के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एक यात्रा के बारे में है, जहां मैंने हर कदम पर अपनापन, सम्मान, प्रोत्साहन और लाड़ प्यार महसूस किया.
शाह फैसल ने आगे कहा-मौलाना आजाद से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह और डॉ. जाकिर हुसैन, महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को, भारत हमेशा समान अवसर की भूमि रहा है और शीर्ष की राह सभी के लिए खुली है.
उन्होंने कहा, ‘कहना गलत नहीं होगा कि मैं खुद पहाड़ की चोटी पर गया और इसे खुद देखा है.’ उन्होंने कहा, ‘यह केवल भारत में ही संभव है कि कश्मीर का एक मुस्लिम युवा भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में शीर्ष पर जा सकता है, सरकार के शीर्ष पदों पर आसीन हो सकता है, फिर सरकार से अलग हो सकता है और फिर भी उसी सरकार द्वारा बचाया और वापस लिया जा सकता है. बता दें, शाह फैसल राजनीतिक कारणों से कुछ समय के लिए सरकारी सेवा से अलग हो गए थे.’
उनके इस ट्वीट पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है. खबर लिखने तक इसे 22.6 हजार लोग लाइक कर चुके थे, जबकि 4,710 लोगों ने रीट्वीट किया था.शाह फैसल के ट्वीट की तारीफ करते हुए खुशबू मट्टू ने कहा-आप सही कह रहे हैं.
निधि तनेजा, अमना बेगम अंसारी, प्रतिभा कौल, सलिल माथुर ने भी शाह के बयान की प्रशंसा की है. प्रतिभा कौल ने तो यहां तक कहा- ‘सोशल मीडिया पर यह सब लिखने के लिए जिगर चाहिए.’