नई दिल्ली: देशभर में कट्टरपंथियों द्वारा दिए जा रहें नफरती भाषणों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का जमाअत इस्लामी हिन्द ने स्वागत किया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना हैं कि हेट स्पीच के मामलों में आरोपी का धर्म देखे बिना कार्रवाई की जानी चाहिए. हेट स्पीच से जुड़े मामलों के केस दर्ज करने में देरी हुई तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा.
जर्नो मिरर की खबर के अनुसार, जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर का कहना है कि हम जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना द्वारा अभद्र भाषा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. देश में नफरत फैलाने, वोट हासिल करने और अपने राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए जान-बूझकर नफरत भरे भाषण देना कुछ लोगों की आदत बन गई है, जिससे देश की सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को काफी नुकसान पहुंचता है.
उन्होंने कहा कि घृणा फैलाने वाले भाषणों और बयानों को नियंत्रित करने में कानून प्रवर्तन अधिकारियों की अक्षमता और कमियों को देखते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का बहुत महत्व है.
We welcome the apex court judgment on hate speech. #HateSpeech #SupremeCourtofIndia pic.twitter.com/mSKYI4G16w
— Salim Engineer (@MSalimEngineer) April 30, 2023
जमाअत इस्लामी हिन्द का मानना है कि अभद्र भाषा या देश की शांति को नुकसान पहुंचाने वाला कोई भी बयान एक गंभीर अपराध है. यह देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान और एकता के ताने-बाने को प्रभावित करता है.
निर्णय सही कहता है कि अदालत के आदेश के अनुसार कार्य करने में किसी भी तरह की हिचकिचाहट या टालमटोल को अदालत की अवमानना माना जाएगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
प्रो. सलीम ने कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द को उम्मीद है कि राज्य अभद्र भाषा के मामलों में एफआईआर दर्ज करेंगे और किसी की शिकायत का इंतजार किए बिना दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. अगर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सभी राज्यों में लागू कर दिया जाए तो देश को हेट स्पीच के संकट से निजात मिल सकती है.