जयपुर विस्फोट मामला: न्यायालय का आरोपियों को बरी किये जाने संबंधी फैसले पर रोक लगाने से इनकार

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संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2008 में जयपुर में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोट मामले में निचली अदालत द्वारा मौत की सजा पाये चार लोगों को बरी करने संबंधी राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से बुधवार को इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि वह दोषी नहीं ठहराये गये लोगों को सुने बिना विवेकहीन तरीके से ऐसी ‘‘सख्त कार्रवाई’’ के लिए आदेश पारित नहीं कर सकता है।

तेरह मई, 2008 को मानक चौक खंड, चांदपोल गेट, बड़ी चौपड़, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, जौहरी बाजार और सांगानेरी गेट पर एक के बाद एक बम धमाकों से जयपुर दहल उठा था। विस्फोटों में 71 लोग मारे गए थे और 185 घायल हुए थे।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने हालांकि उच्च न्यायालय के 29 मार्च के फैसले में पारित एक निर्देश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य के पुलिस महानिदेशक को मामले में शामिल जांच अधिकारी और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच का आदेश देने के लिए कहा गया था।

पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पीठ ने कुछ शर्तें लगाईं और निर्देश दिया कि बरी किये गये चार लोगों को किसी अन्य मामले में वांछित होने तक रिहा किया जाये।

वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी के साथ राजस्थान सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ से उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि बरी किये गये लोगों को गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था और मौत की सजा दी गई थी।

पीड़ितों के परिवार के सदस्यों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और अधिवक्ता आदित्य जैन ने भी उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया।

पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाने जा रही है और उसे बरी किये गये लोगों को सुनने की जरूरत है।

न्यायालय ने निर्देश दिया कि चारों अपने पासपोर्ट सौपेंगे और जेल से छूटने के बाद रोजाना सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच जयपुर के आतंक रोधी दस्ते पुलिस थाने में अपनी पेशी दर्ज करायेंगे।

उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने संबंधी राज्य सरकार और विस्फोट पीड़ितों के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।

उच्चतम न्यायालय जयपुर श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में मारे गए लोगों के कुछ परिजनों की उस याचिका पर सुनवाई करने पर 12 मई को सहमत हो गया था, जिसमें निचली अदालत द्वारा मौत की सजा पाए चार लोगों को बरी करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने 29 मार्च को मामले के चार आरोपियों को मौत की सजा देने संबंधी निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया था।

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा पांचवें आरोपी को बरी किए जाने की भी पुष्टि की थी।

(इनपुट पीटीआई-भाषा)