सर्वोच्च राजनीतिक पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व होने के बावजूद महिलाओं की स्थिति दयनीय है: जेआईएच महिला विंग

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नई दिल्ली: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) की महिला विंग द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिष्ठित महिलाओं ने निष्कर्ष निकाला है कि सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की अधिक रचनात्मक भागीदारी प्राप्त करने के प्रयास किए जाने चाहिए, क्योंकि यही कल्याणकारी राष्ट्र की ओर ले जाता है.

सामाजिक राजनीतिक पृष्ठभूमि की महिला हस्तियों ने ‘सोशियो पॉलिटिकल एंगेजमेंट ऑफ वूमेन: वे फॉरवर्ड’ विषय पर विचार गोष्ठी में भाग लिया और क्षेत्र में चुनौतियों पर काबू पाने में अपने अनुभव साझा किए.

जर्नो मिरर की खबर के अनुसार, अपने उद्घाटन भाषण में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती रहमतुन्निसा ने कहा, “संविधान और देश के विभिन्न कानूनों के अनुसार प्रावधान है लेकिन हम अपने सामाजिक ढांचे की जटिल वास्तविकताओं के कारण व्यावहारिक कार्यान्वयन में विफल हैं. यह कहते हुए कि पुरुषों और महिलाओं को किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए एक दूसरे के पूरक के रूप में काम करना चाहिए, उन्होंने कहा कि केवल शिक्षा, जागरूकता, प्रशिक्षण, सार्वजनिक स्थानों को अधिक महिला अनुकूल बनाने और आरक्षण में बदलाव लाया जा सकता है.

अखिल भारतीय असंगठित कामगार कांग्रेस और भारत जोड़ो यात्रा की राष्ट्रीय समन्वयक सुश्री शीबा रामचंद्रन ने कहा है कि देश में सर्वोच्च राजनीतिक पदों पर महिला प्रतिनिधि होने के बावजूद महिलाओं की स्थिति दयनीय है. यह टिप्पणी करते हुए कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ समान अधिकार केवल प्रचार में है और व्यवहार में नहीं, उन्होंने हर संगठन से महिलाओं के लिए समान विचार देने का आग्रह किया.

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री फातिमा मुजफ्फर ने कुरान की इस आयत को याद दिलाते हुए महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खुद काम करने के लिए प्रेरित किया कि “निर्माता तब तक लोगों की स्थिति नहीं बदलता जब तक कि वे खुद को नहीं बदलते”. उन्होंने महिलाओं को सलाह दी कि वे एक-दूसरे का समर्थन करें और एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा न करें, उन्हें शांति से रहने और शांति देने वाले बनने की जरूरत है.

वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया (WPI) की राष्ट्रीय महासचिव सुश्री शीमा मोहसिन ने भारत में महिलाओं की दयनीय स्थिति का उल्लेख किया. सुश्री शीमा ने कहा कि महिलाओं को समुदाय आधारित दुश्मनी का निशाना बनाया जाता है और इस प्रकार उनकी गरिमा और सम्मान पर हमला किया जाता है.

अपने समापन भाषण में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती अतिया सिद्दीका ने महिलाओं को समाज में उन्हें नियंत्रित करने के लिए बुराइयों के प्रति संवेदनशील बनने, आत्मविश्वास विकसित करने और समस्या समाधान के लिए एक सही दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा, जो सरकार दोनों में किया जा सकता है.