न्यायालय में सुनवाई पूरी होने तक चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण संबंधी आदेश लागू नहीं करेंगे: बोम्मई

0
179
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई

धारवाड़: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ‘अन्य पिछड़ी जातियों’ की 2बी श्रेणी के तहत मुस्लिमों को मिले चार प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने के अपने फैसले को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई पूरी होने तक लागू नहीं करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि श्रेणी-1 और श्रेणी-2ए के तहत मुस्लिमों की अति पिछड़ी 17 उप जातियों को दिए गए आरक्षण में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

अमृत विचार की खबर के अनुसार, बोम्मई ने यहां संवाददाताओं से कहा, हमने फैसला किया है कि जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक हम इस पर आगे नहीं बढ़ेंगे। अदालत ने स्थगन नहीं दिया है। हमने केवल कहा है कि आप (उच्चतम न्यायालय) मामले को सुनें। जब तक मामले की सुनवाई होगी हम इसे लागू नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री उच्चतम न्यायालय के निर्देश को लेकर पूछे गए सवाल पर टिप्पणी कर रहे थे।

न्यायालय ने राज्य सरकार को चार प्रतिशत मुस्लिमों को दिए गए आरक्षण को खत्म करने के फैसले को नौ मई तक लागू नहीं करने का निर्देश दिया है जिस दिन वह इस पर सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मौजूदा सरकार ने कार्यकाल समाप्त होने से ठीक पहले मुस्लिमों को 2बी श्रेणी के तहत दिए जा रहे चार प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने का फैसला किया था। बाद में सरकार ने इस चार प्रतिशत आरक्षण को दो हिस्सों में बांट कर राज्य के दो सबसे प्रभावशाली समुदायों को दे दिया था।

सरकार ने वोक्कालिगा के आरक्षण में 2सी श्रेणी के तहत दो प्रतिशत की वृद्धि की है जबकि लिंगायत को 2डी श्रेणी के तहत दो प्रतिशत और आरक्षण देने का फैसला किया था। बोम्मई ने कहा, मुस्लिमों की 17 उप जातियों को जिनमें पिंजर, दर्जी, चकरबंद शामिल हैं, को अब भी पिछड़ा वर्ग के तहत श्रेणी-1 और श्रेणी-2ए के तहत आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की श्रेणी में रखा गया है जो 10 प्रतिशत आरक्षण की अर्हता रखते हैं।

बोम्मई ने कहा, जिन लोगों को चार प्रतशित आरक्षण मिलता था उन्हें 10 प्रतिशत की श्रेणी में रखा गया है। इस प्रकार कोई अन्याय नहीं हुआ है। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि संविधान धर्म आधारित आरक्षण की अनुमति नहीं देता। उन्होंने कहा, पूर्ववर्ती सरकार ने तृष्टिकरण की राजनीति के तहत इसे लागू किया था।