देश में बेरोज़गारी दर दिसंबर में 16 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंची: सीएमआईई

0
204

मुंबई: देश में बेरोजगारी की दर दिसंबर, 2022 में बढ़कर 8.3 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, बेरोजगारी दर का यह 16 माह का उच्चतम स्तर है.

द वायर की खबर के अनुसार, आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में बेरोजगारी की दर आठ प्रतिशत थी, जबकि सितंबर में यह सबसे कम 6.43 प्रतिशत थी. वहीं, अगस्त में यह 8.28 प्रतिशत पर थी, जो इस साल का दूसरा सबसे ऊंचा स्तर है.

दिसंबर में शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 10.09 प्रतिशत हो गई, जबकि नवंबर में यह 8.96 प्रतिशत थी.

वहीं, ग्रामीण बेरोजगारी दर में गिरावट देखी गई. यह 7.44 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि नवंबर में यह 7.55 प्रतिशत थी.

राज्यों की बात करें तो दिसंबर में सबसे ऊंची 37.4 प्रतिशत की बेरोजगारी दर हरियाणा में थी. उसके बाद राजस्थान (28.5 प्रतिशत), दिल्ली (20.8 प्रतिशत), बिहार (19.1 प्रतिशत) और झारखंड (18 प्रतिशत) का नंबर आता है.

सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने कहा कि बेरोजगारी दर में वृद्धि ‘उतनी बुरी नहीं है जितनी यह प्रतीत होती है’ क्योंकि यह उस समय आई है जब श्रम भागीदारी दर में खासी वृद्धि हुई है, जो दिसंबर माह में 12 माह के उच्चतम स्तर 40.48 प्रतिशत पर पहुंच गई.

टीमलीज सर्विसेज की सह-संस्थापक और कार्यकारी उपाध्यक्ष रितुपर्णा चक्रवर्ती ने आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए कहा कि सीएमआईई बेरोजगारी रिपोर्ट बुरी और अच्छी खबर का एक ‘दिलचस्प गुलदस्ता’ है.

उन्होंने कहा कि जन्म दर और मृत्यु दर और आर्थिक समृद्धि के प्रमुख संकेतकों को देखते हुए भारत के लिए चिंताजनक संभावनाओं में से एक तथ्य यह है कि श्रमबल में हमारी वृद्धि धीमी हो सकती है. कुछ ऐसा ही चीन या यूरोप और अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में हुआ है.

चक्रवर्ती ने कहा कि जनसांख्यिकीय लाभ निकट भविष्य में संभवत: अपने अंतिम सिरे पर पहुंच सकता है.

उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि संगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन कितना जरूरी है, तभी हम रोजगार बाजार में समावेशन सुनिश्चित कर सकते हैं.

सीआईईएल एचआर सर्विसेज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आदित्य नारायण मिश्रा ने रिपोर्ट को लेकर कहा कि दिसंबर में नए रोजगार के कोई उल्लेखनीय अवसर नहीं बने.

उन्होंने कहा, ‘सितंबर-दिसंबर के दौरान त्योहारी सीजन की वजह से उपभोक्ता सामान, वाहन और वित्तीय सेवा क्षेत्र में रोजगार के काफी अवसर बने. इनके लिए नियुक्तियां अगस्त-सितंबर में की गईं. मुद्रास्फीतिक दबाव की वजह से निर्माण, इंजीनियरिंग और विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं बढ़ पाए हैं.’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here